किसी भी दुकान या फर्म का लेखा-जोखा रखना आवश्यक होता है। दुकान का लेखा-जोखा आज के समय में ऑनलाइन कई प्रकार के सॉफ्टवेयर की मदद से गवर्नमेंट को भी बताया जाता है और उसी आधार पर दुकान के टर्नओवर पर इनकम टैक्स और जीएसटी भरनी पड़ती है। किसी भी व्यवसाय में रुटीन चेकिंग और वाउचर की प्रक्रिया केवल लेन-देन को रोकती है। क्योंकि वाउचर की प्रक्रिया है और लेन-देन दिन प्रतिदिन बढ़ती बढ़ती है। पहले उदाहरण पर बात की जाए तो Assets के Acquisitions या liabilities की धारणा पुष्टि करनी पड़ती है।
लेकिन जब आप बैलेंस शीट को फाइनेंसियल ईयर के अंत में तैयार करते हैं। तब इसका मूल्य बदल जाता है। वाउचर की किसी एक एंट्री की गलती की वजह से बैलेंस शीट में बड़ा नुकसान हो सकता है। इसीलिए कई प्रकार की गलतियों की वजह से वित्त वर्ष के अंत में बैलेंस शीट में काफी बदलाव देखने को मिलता है। खातों को बंद करने के उद्देश्य से assets और liabilities का पुर मूल्यांकन चार्ट निर्धारित करके उसे तैयार करना होता हैं। आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से Valuation and Verification of Assets and Liabilities के बारे में जिक्र करेंगे।
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Asset Valuation Basis:
Evaluation के महत्व को ध्यान में रखते हुए Auditor को हमेशा सावधान रहना बहुत जरूरी है। क्योंकि ऑडिटर द्वारा उचित समय पर उचित आधार पर संपत्ति का मूल्य ज्ञात करना और मूल्यांकन के मानक तरीके को आमतौर पर assets के विभिन्न वर्गों मे अनुसरण करना होता है।
Nature and purpose of acquisition:
फिक्स्ड :- assets यह प्रकृति की बात की जाए तो प्रकृति में स्थिर आई वर्जित करने के लिए व्यवसाय में स्थाई रूप से दीर्घकालिक Retention और Acquired के लिए उपयोग किया जाता है।
सार / Abstract :- assets की प्रकृति स्थिर होती है। जो गैर मौद्रिक संपत्ति की पहचान करने के रूप में उपयोग की जाती है और व्यापार में उपयोग के लिए कमाई को बढ़ाने तथा बिना भौतिक व व्रत अस्तित्व के साथ अचल संपत्तियों को एक निश्चित रूप मैं मांगते हुए उसका मूल्यांकन करना होता हैं।
काल्पनिक :- यह एक प्रकार की ऐसी संपत्ति हैं। जिसे आभासी तौर पर देखा जा सकता है। बिना किसी मूल रूप से स्थाई संपत्ति को कल अपनी संपति जाते हैं। आमतौर पर खर्च या असामान्य प्रकार के नुकसान जैसे कि नकद इस प्रकार की श्रेणी में आते हैं।
अस्थायी :- यह एक प्रकार की ऐसी संपत्ति है। जिसमें निरंतर आंदोलन व परिवर्तनों के अधीन होती है जिसे जल्दी अस्थाई प्रतिधारण और नकद में रूपांतरण कर दिया जाता है। नकद में रूपांतरण के लिए liabilities किया जाता है।
Re-emergence of Assets
प्रॉपर्टी की इस व्यवस्था को व्यवस्थित मूल्यांकन द्वारा संपत्ति के पुनर्मूल्यांकन को कह सकते हैं। Re-emergence of assets भौतिक स्थिति तथा अनुमानित भविष्य के कामकाज और assets के बाजार मूल्य के आधार पर यथार्थवादी मुरली को बताया जा सके। किसी भी assets को दो तरीकों से Re-emergence of assets किया जा सकता है। इन दो आधारों के माध्यम से Re-emergence of assets किया जाता है, जो नीचे निम्नलिखित रुप से लिया गया है।
- तकनीकी उन्नयन उत्पादकता प्रतिस्थापन की लागत और assets की दक्षता के आधार पर
- ऐतिहासिक लागत जो कई मामलों में एक सच्चे और निष्पक्ष दृष्टिकोण को निरूपित करते हैं। लेकिन प्रतिबिंब नहीं करते यथार्थवादी मूल्य को बताने के लिए इस तरीके का उपयोग किया जाता है।
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंट ऑफ इंडिया द्वारा जारी की गई अकाउंट assets 11 में यह प्रावधान रखा गया है,कि स्थाई संशोधित पुस्तक की मूल्य देने के लिए शक्ल पुस्तक मूल्य और संचित मूल्य हास दोनों को मध्य नजर रखा जाता है। उसके पश्चात किसी भी संपत्ति की राशि को विधि विवरण के आधार पर दिखाया जाता है और इसी शुद्ध वृद्धि को जोड़कर पुस्तक कमली तैयार किया जाता है। कंपनी की अधिनियम 1956 के अनुसूची 4 के आधार पर assets को बनाने के लिए निर्देशों को उपयुक्त रूप से चयन करके पुनः मूल्यांकन प्रक्रिया उपलब्ध करवाई जाती है। उसी आधार पर संपत्ति के किसी भी लेखन के मामले में आंकड़ों को दिखा कर assets के मूल्य तैयार करके बैलेंस शीट को बनाया जाता है।
Duties of Auditor for valuation of assets
यह एक auditor को किसी प्रकार की आइटम को पारित करने से पहले उसकी बड़ी देखभाल के साथ ग्राहक द्वारा उपयोग में होने वाली और अपनाई गई assets और liabilities के आधार पर वस्तु के मूल्यांकन की पूछताछ करनी जरूरी है। उसके पश्चात ही उस वस्तु के मूल्य को निर्धारित किया जाएगा। इस बात पर पूरी तरह से auditor संतुष्ट होने के पश्चात ही वस्तु की मूल्यों को निर्धारित कर सकता है। ऑडिटर द्वारा वैज्ञानिक सिद्धांतों पर ठीक से महत्व रखते हुए मूल्य को निर्धारित करके बैलेंस ही की तारीख में व्यापार के लिए, उसे वास्तविक और उचित मूल्य का प्रतिनिधित्व करना पड़ेगा। हालांकि यहां किसी ऑडिटर के द्वारा सामान्य कर्तव्य का कोई भी हिस्सा नहीं है। ऑडिटर द्वारा assets और liabilities का मूल्य स्वयं निर्धारित किया जाता है।
यह काम आमतौर पर व्यवसाय के लिए एक जिम्मेदार होता है और इसे करने के लिए ऑडिटर स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन कर सकता है। ऐसी परिस्थितियों में ऑडिटर की जिम्मेदारी प्रबंधक और मूल्यवान करता के मूल्य को प्रमाण पत्र के तौर पर स्वीकृति देने तक सीमित होती है। जैसा कि आपको पता है, कि विशेष और निश्चित रूप से अपने आप में स्थापित करने के लिए उपयुक्त व्यक्तिगत पूछताछ करने की आवश्यकता है। मूल्य व्यापार की प्रकृति और संबंधित assets और liabilities के संबंध में उचित मूल्य निर्धारित करना होगा।
किसी भी मामले में ऑडिटर द्वारा assets और liabilities के मूल्य को निर्धारित करने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। मूल्यांकन के आधार पर उचित कौशल और देखभाल का अभ्यास करना आवश्यक होता है। उसके पश्चात कोई भी व्यक्ति संपत्ति का मूल्य निर्धारित कर सकता है।
Verification of assets and liabilities of a Business
assets का सत्यापन करना अति आवश्यक होता है, क्योंकि बैलेंस शीट की आखिरी तारीख पर कानूनी स्वामित्व के आधार पर ग्राहकों के कब्जों के तहत हस्तियों और वास्तविक अस्तित्व की पुष्टि करना जरूरी होता है। इसीलिए auditor द्वारा assets को सत्यापित करना आवश्यक होता है। assets के मूल्यांकन की आवश्यकता होती है।संपत्ति का मूल्यांकन करना बैलेंस लिस्ट को बनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि बैलेंस शीट में केवल ऐसी पशुओं को ही शामिल करना चाहिए। जो ग्राहकों के हित में हो और एक लेखा परीक्षक को भी किसी भी संपत्ति के बैलेंस शीट में नहीं जोड़ना चाहिए जो संपत्तियां उचित है। उन्हीं संपत्तियों को बैलेंस शीट में जोड़कर assets को सत्यापित कर सकता है। अपने ग्राहकों द्वारा उसी मालिकाना स्वामित्व के बारे में पूरी तरह से संतुष्ट करना भी जरूरी है।
Verification of liabilities
आमतौर पर बात की जाए तो liabilities का सामना अंकित मूल्य के आधार पर किया जाता है और उसके पश्चात liabilities का सत्यापन करना बहुत आवश्यक होता है। liabilities का सत्यापन करना assets के रूप में उतना ही महत्व होता है। जैसे किसी भी अंडरस्टेटमेंट को व्यवसाय के प्रमाणित और वित्तीय मामलों में स्थिति को किस प्रकार प्रभावित करता है। उसी प्रकार को सत्यापित करना आवश्यक होता है। आमतौर पर liabilities की संख्या प्रॉपर्टी की तुलना में कम होती है।
एक ऑडिटर को यह देखना चाहिए,की liabilities की वैल्यू समापन तिथि के आधार पर कैसे तय की जाती है। यहां तक कि गलती से जिया जानबूझकर छोड़े गए, हिसाब के लिए किसी भी उसको में दिखाए गए सभी क्रेडिट सेट को वास्तविक liabilities के साथ हेरफेर करना उचित नहीं है। एक ऑडिटर इस बात से तब संतुष्ट होना चाहिए जब उसको में दर्ज की गई liabilities स्वास्तिक हो और liabilities का हिसाब और भी जीवन खुलासा किया जाए।
उसके पश्चात ही ऑडिटर इस बात को संतुष्ट होकर सत्यापित करता है। एक ऑडिटर की लापरवाही करने से बड़ा नुकसान पड़ सकता है। यदि वह liabilities की रिपोर्ट का पता लगाने में विफल रहता है। तो ऑडिटर की रिपोर्ट liabilities के किसी भी चूक के लिए योग्य कार्रवाई कर सकते हैं।
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Conclusion
किसी भी assets की कीमत जांच करने के लिए ऑडिटर द्वारा हर प्रकार की बातों को ध्यान में रखा जाता है। उसके पश्चात ही किसी भी assets की शुद्ध मूल्य तय की जाती है। assets की मूल्यों को सत्यापित करना ऑडिटर के लिए आवश्यक होता है। लेकिन इस बात के लिए ऑडिटर जवाबदेही नहीं होगा। liabilities का सत्यापन भी प्रॉपर्टी के आधार पर ऑडिटर द्वारा किया जाता है।
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Thanks, Bro for this valuable information on Assets